सुनील कुमार अवधिया
डिण्डौरी (मध्य प्रदेश)
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चारों और घटा छाई,
बरस रहा है पानी।
अति सुंदर छटा वनों में छाई,
दिख रही हरियाली।।
कितनी सुंदर शोभा छाई,
मधुर-मधुर निराली।
चारों ओर घटा छाई,
अति सुंदर हरियाली।।
चहचहा रही मधुर गौरैया,
हरियाली की रानी।
सूखे पेड़ हरे हो गए,
चारों ओर घनी छाई हरियाली।।
नदी नालों में बह रहा है,
देखो कितना पानी।
वर्षा की बूंदों से धरा,
हो गई खूबसुहानी।।
खेतों में हलचल रहे,
दिखे जहां हरियाली।
रिमझिम-रिमझिम बरस रहा है पानी,
सावन की रितु है आयी मस्तानी।।
मनमोर नाच रहा है बारिश में मेरा,
चुग रही चिड़िया आंगन में दानापानी।।
घुमड़़-घुमड़़ के बादल छाये।
दामनि दमक रही दमकाये।।
मोर पपीहा नाघ रहे है।
आनंदित हो सब हरषाये।।
सावन की रितु है मस्तानी।
सबको लगे बड़़ी सुहानी।।
निवासी : गाड़ासरई, जिला- डिण्डौरी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिन्दी) बी.एड.
जन्मतिथि : ०१.०७.१९६९
विधा : गीत, कविता, दोहा छंद, लघुकथा आदि
सम्मान : हिन्दी कादंबरी सम्मान जिला- कोरिया (छ.ग.), साहित्य सम्मान, प्रथ्वी पुत्र सम्मान, साहित्यसंगम संस्थान से अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं।
साहित्यिक उपलब्धियां : साहित्संगम से मिले सम्मान पत्र- “साहित्यसंगम संस्थान अभ्युदय प्रमाण पत्र।” जैसे और भी प्रमाण पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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