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सोशल मीडिया वाला प्यार

शैलेष कुमार कुचया
कटनी (मध्य प्रदेश)
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ऑनलाइन मुलाकात
फिर नंबर मिला,
बात हुई ढेरो
फिर मिलने की जगी आस……!

बारिस का दौर
मिलने की चाह,
तड़प थी इतनी
नजरो को था उनका इंतजार……!

चाय पकौड़े छोड़कर
मोहब्बत की भूख,
चढ़ा जो नशा हमे
उतरता वो कहा जल्दी……!

प्यार हो जाये तो
बारिस और ठंड लगती अच्छी,
वो दिन भी आया
जब चलकर वो आयी……!

काश बारिस भी आती
तो मोहब्बत हमारी निखर जाती,
खैर मिलकर कुछ उसने
और सब कुछ हमने कहा……!

नही थी आगे
और बात की जरूरत,
देखकर उसकी उम्र
हमे निकलना ही सही लगा……!

फिर पहुँचे दोस्तो की महफ़िल
दर्द हमारा बाहर आया
बिन देखे मोहब्बत न करना,
जिसको कहाँ था बाबू-सोना
वो निकली मोहल्ले की एक अम्मा……!!

परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया
मूलनिवासी : कटनी (म,प्र)
वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना)
प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है।
पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ
शिक्षा : स्नातक
भाषा : हिंदी, बुंदेली
विशेष : स्वरचित रचना, विचारो हेतु विभाग उत्तरदायी नही है, इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा : में यह प्रमाणित करता हूं, कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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