डाॅ. रेश्मा पाटील
निपाणी, बेलगम (कर्नाटक)
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विपक्ष का मुद्दा मणिपुर
सरकार का राजस्थान
सब राज नेताओं ने मील के
कर दिया इस देश का बंटाधार।।
जनता गयी तेल लगाने,
जिसे जीना है जीए,
जिसे मरना है मर जाए
बस मेरी प्यारी कुर्सी कभी ना जाए
बस यही हमारी तमन्ना
और यही हमारा एजेंडा
भाई जो कुछ हो रहा है
उस पर तो जनता शर्मिंदा है
हम नही हम ने तो कब की
शर्म बेच खाई
तभी तो हम राजनेता है
भले ही खुद शर्म
आज शर्मिंदा हो
हम बेशर्मो की तरह ही
बयान बाजी करेंगे
दुनिया मे भला कोन
दूध का धुला है,
जो हम पे आरोप धरेंगें
जनता के सेवक बस
कहने की बात है साहब
असलियत मे तो हम
सम्राटों के भी सम्राट है
भला हमे काहे का डर
दुनिया में नही बची
अक्ल दो हमारा क्या दोष?
जनता को नही समझ आती
बात तो हम क्या करे
हम सब तो कब से
चीख-चीख कहे रहे है
की हम झूठे मक्कार है
बस बात हो गयी खत्म
चाहे जलता रहे मणिपुर
चाहे मरती रहे बेटिया
राजस्थान मे, चाहे
जल जाए सारा देश,
चाहे जाए सारी दुनिया भाड में
हमारी बला से,
हमे क्या लेना-देना
हम तो बस मस्त है
अपनी-अपनी दुकानों मे
तू सामान्य नारी है
नही कोई याज्ञसेनी
जिसके लिये पधारे
स्वयं नारायण
तेरी किस्मत मे तो
हम जैसे राजनेता ही है
ना तेरी उतनी तपस्या है
ना हम इतने पुण्यवान
चल छोड जाने दे वरना
कही बंद ना हो जाये
हमारी दूकान
पैसा चाहिये तो ले जा ढापले
आपने आप को चाहे
मणिपुर हो या राजस्थान
चाहे विपक्ष हो सत्ता मे
और सत्ता हो विपक्ष मे,
क्या फर्क पडता है तुझे,
हम बेशर्म हो कर कहते है तुझसे,
तू तो बनी ही है
शिकार होने के लीए
बस चर्चा ही करते रहेंगें
हम तेरे दर्दों पे
संवेदनाहीन हो के
चाहे टीवी हो या संसद
बस एक दूसरे के नाम से
चिल्लाते रहेंगे,
हम क्या बोल रहे है
ये हमको खूद नही
समझ मे आता तो
तुझको क्या समझांएगें
चिख-चिल्ला के थक जाए
तो एक दूसरे को शरबत पिलाएंगे
कल जो भ्रष्टाचारी थे
आज वो हमारे साथ हो लिये
तो बस गंगा नहाये है
और आज जिसे छोड जाने पर
हम गद्दार-गद्दार पुकार रहे है
क्या पता कल वो ही हो जायेंगे
हमारे प्राण प्यारे
यही तो राजनीती है
जनता को कहा से समझ मे आती है
हम तो एसे ही ठगते रहेंगे
जनता को विकास के नाम पर
एसे ही जाते रहेंगे यान चाँद पर,
सात-सात होते रहेंगे थाली से
एसे ही कभी टमाटर,
कभी आलू तो कभी प्याज गायब
क्या हूवा जो देश मेहेंगाई भडकी है
दुनिया मे तो देश की अर्थव्यवस्था
बडी मजबुत खडी है
ये एसे ही गाते रहेंगे हम
विदेश मे कभी हमारे संस्कृति का
कभी हमारे सहिष्णुता का गुणगान
चाहे मरजाए शर्म खुद शर्मिंदा हो कर
हमे नही पडता कोई फर्क जब तक
सोई है जनता जनार्दन धर्म का
अफीम लगाए चादर तान के
परिचय :- डाॅ. रेश्मा पाटील
निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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