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राजनीति रोटी

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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राजनीति की रोटियां,
जितनी चाहो सेंक।
सत्य तथ्य रखते परे,
निडर मानकर फेंक।।
भ्रष्ट रोटी जो मिले,
मानें खुद को शूर।
पर होता इंसाफ है,
होकर लज्जित दूर।।
मुनि संतों के देश में,
शैतानों का उत्पात।
वनवास काल ’राम’ ने,
दी चुन चुनकर मात।।
काम किसी के आ सकें,
खुल जाता था द्वार।
अदभुत दधीचि दान था,
केवल अब कुविचार।।
चलता देश विवेक से,
रखें सभी अभिमान।
फिर मनचाहा तो नहीं,
होता है गुणगान।।
मुल्क नीति अवमानना,
विचलित दिखे अनेक।
सिर्फ भ्रम फैला रहे,
रोटी लालच एक।।
देश प्राण जब एक है,
भारत माता आन।
समान घटना नजर से,
क्यों रहते अनजान।।
बोली बहुत मुखर हुई,
देते बात मरोड़।
’मुन्ना’ तर्क इस राह से,
निकले कोई तोड़।।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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