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नौकर

मनोरमा जोशी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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मेरा पता पूछकर,
मुझकों अपमानित,
मत करना।

छलक जायगा,
दुखः का मनघट,
दुखित न
मन को करना।

दिन अपने कट,
जाते हंसकर,
सो जाता रातों,
को रोकर,
मैं होटल का
नौकर।

दुखः के घूंट,
निगलकर अपने,
आंसू पी लेता हूँ,
फटकारों से फटा,
हुआ दिल हँसकर,
मै सी लेता हूँ,
साहस है मुझमें,
जीने का झूठे,
बर्तन धोकर,
मै होटल का
नौकर।

तुम्हीं बताओं उम्र है,
मेरी ललकारें सुनने की,
मैले फटे पुराने कपडे़,
पहनू मै नित धोकर,
मै होटल का
नौकर।

किसी चमन
का साथी,
फूल बना हूँ,
जीवन की बहती,
धारा का फूल बना हूँ,
धुतकारों या
पुचकारो तुम
तुमकों है
अधिकार सभी,
मुझको पता नहीं है,
कब किसने छोड़,
दिया है बोकर,
मै होटल का
नौकर।

परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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