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लहरों का संदेश

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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सागर की लहरों में हमदम
रेस चला करती है
तीव्र गति, अबाध,
स्मितमुख दौड़ा करती हैं
न कोई रोकटोक
न कोई प्रतिस्पर्धा
इधर उधर से
भाग-भाग कर
एकाकार हुआ करती हैं
गुफ़ा, कंदरा में
ऋषि मुनि खोजा करते
मोक्ष मार्ग
इन लहरों को देखो,
चलचल कर
पा जातीं
खुला मोक्ष का द्वार
लहरें चल-चल कर
अपना काम किया करती हैं
चलते रहने का मानव को
संदेश दिया करती हैं।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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