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लोकतंत्र का पवित्र मंदिर हूं मैं

माधवी तारे
लंदन
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(नया संसद भवन २८ मई २००३)

आज की रवि किरणों से
चमकता हुआ
न कोई गगन से उतर कर
आया फरिश्ता
परतंत्रता का चोला उतार,
अपनों के परिश्रम से निर्मित
स्वतंत्र देश के अमृत
महोत्सव का प्रतीक हूं मैं.

देश का विकास या
समस्या का हो मसला
या विदेश का हो
कोई मामला
सबसे खुली चर्चा करके,
हल निकालने वाला
हलधर हूं मैं
न तो मैं
विदेश में
स्थापित होने वाला
न ही देश की हर बात
जग भर फैलाने वाला
दूरदर्शन का कोई
चैनल हूं मैं
सब देशवासियों की
रगों में देशभक्ति
स्रोत जगाने वाला
निर्मल बहता हुआ
निर्झर हूं मैं
गीता का वचन है
”यो माम् यथा प्रपद्यन्ते,
ताम् तथैव भजाम्यहम ”
मंत्रोच्चार से स्थापित
लोकतंत्र का पवित्र
मंदिर हूं मैं

प्रस्तुति – एक वरिष्ठ भारतीय महिला नागरिक (वर्तमान निवास लंदन)

परिचय :- माधवी तारे
वर्तमान निवास : लंदन
मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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