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प्रश्न का उत्तर

माधवी तारे
लंदन
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(काव्य रचना, श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद के चरित्र के आधार पर)

एक दिन विवेकानंद जी से
पूछ लिया एक मासूम ने
मात पिता का संतान पर अपने
रहता है न समान अधिकार?

तो फिर मां का ही गुणगान जरा
ज्यादा होता रहता संसार भर
बोले स्वामी-बालक का प्रश्न सुनकर
सामने दिखी ईंट को ले आ तू सत्वर
मिल जाएगा फिर तुम्हें
तुम्हारे प्रश्न का उत्तर
गया ईंट लाने बच्चा दौड़कर
कहे स्वामी, इसे अब
बांध लो तुम्हारे पेट पर

खाना, पीना, सोना, उठना, बैठना
करते रहो नौ घंटे ऐसा ही रहकर
आज्ञाकारी बालक
कर बैठा कहे अनुसार
अल्पकाल में ही
असहनीय कष्ट से हुआ बेहाल
पछताकर बोला मन में-क्यों गया मैं
स्वामी जी को प्रश्न पूछने !
समय पूर्व आते बालक को देखकर
तकलीफ उठाते हुए आते उनके घर पर
मुस्कुराते बोले स्वामी,
मिल गया लगता है तुम्हें
तुम्हारे प्रश्न का उत्तर

दर्द भरी आवाज से बोला बालक
नहीं चाहिये, स्वामी मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर
असहनीय सा लग रहा है यह भार पेट पर
बोले स्वामी पांच गुना ईंट से ज्यादा भार
उठाती रही माता नौ माह तक अंदर
कष्ट सहती रही तुम्हारे खातिर हंसकर
अब लगता मुझे, तुम्हें मिल गया
तुम्हारे प्रश्न का उत्तर…

प्रस्तुति – एक वरिष्ठ भारतीय महिला नागरिक (वर्तमान निवास लंदन)

परिचय :- माधवी तारे
वर्तमान निवास : लंदन
मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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