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इश्क है तो दर्द सहना पड़ेगा जीवन भर

प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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तेरा नाम नही तो सब मुझसे खुश रहते है
तेरा नाम लेते सब मुझसे नाखुश रहते है
अपने हिस्से का प्यार सब चाहते है मगर
इश्क है तो दर्द सहना पड़ेगा जीवन भर

समझ नही पाते लगाव घट नही सकता
ये वो घाव है जो कभी भर नही सकता
इश्क सीमारहित जिसका छोर नही पर
इश्क है तो दर्द सहना पड़ेगा जीवन भर

चाहत के अफसाने जो दिन रात बढता
उसके अगन से कोई भी बच नही सकता
इश्क वो दरिया जिसमे ताउम्र डूबना मगर
इश्क है तो दर्द सहना पड़ेगा जीवन भर

आग सीने में लग जाये एक बार इश्क की
ताउम्र मिलेगी अब प्रेम में कसक व सिसकी
इस कशिश में बीतेगी अब तो जीवन डगर
इश्क है तो दर्द सहना पड़ेगा जीवन भर

उम्र गुज़ार देंगे केवल तेरे यादो के साथ
मैं इधर लिखूं,आप उधर पढ़ना मेरे साथ
अब तो पढ़ के ही प्रेम होगा हमारा अमर
इश्क है तो दर्द सहना पड़ेगा जीवन भर

किसी भी तरह ये जीवन बीत जाये अगर
जाने कौन रास्ते जायेगा जीवन का डगर
हर डगर पर यादों का बस साथ हो अगर
इश्क है तो दर्द सहना पड़ेगा जीवन भर

परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी
पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी
जन्म : २५/११/१९७८
निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़)
संप्रति : शिक्षक
शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा
रूचि : काव्य लेखन, आलेख लेखन, विभिन्न कार्यक्रम में मंच संचालन, अध्ययन अध्यापन
कार्य स्थल : शासकीय माध्यमिक शाला सांकरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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