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क्षण- बोध

डॉ. छगन लाल गर्ग “विज्ञ”
आकरा भट्टा, सिरोही (राजस्थान)
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आह उर संवेदना को पालता हूँ !
दर्द की हर आग जलना चाहता हूँ !!

खो गयी घनघोर रातें वासना में !
स्वप्न टूटे मोम से लो कामना में !
राग की मृदु वर्तिका- सी याचना में !
भ्रांत मारुत घोलता विष साधना में !
दीप भीतर का जलाना चाहता हूँ !
दर्द की हर आग जलना चाहता हूँ !!

रिश्तों की अब बात बस अंगार जैसे!
स्वार्थ में सब भूलते अपनत्व कैसे !
लोग बन बेशर्म हो उन्मत्त ऐसे !
फैंकते हर बोल बन प्रस्तर जैसे !
कोख की हर छाँव पलना चाहता हूँ !
दर्द की हर आग जलना चाहता हूँ !!

कोन है जो थपकियाँ दे वेदना में !
बोल दे दो बोल मीठे चेतना में !
व्यर्थ रिश्ते- वासना संवेदना में !
अर्थ गहरे कह सके नवचेतना मेें !
हूँ अकेला ही सदा यह जानता हूँ !
दर्द की हर आग जलना चाहता हूँ !!

कब कहूँगा प्यार से संतुष्ट हूँ मैं !
जागता हूँ स्वप्न में रस मुक्त हूँ मैं !
त्यागना जग चाहता अवधूत हूँ मैं !
तूलिका बन लिख रहे सब पृष्ठ हूँ मैं !
भावना की लौ जलाना चाहता हूँ !
दर्द की हर आग जलना चाहता हूँ !!

सिंधु का विस्तार घन में व्यस्त ठहरा!
दौड़ता सा प्राण का चिर प्यास पहरा!
मोह के संसार का निश्वास गहरा !
आँसुओं से सिक्त क्यों संसार ठहरा !
ध्वंस जीवन सत्य कहना चाहता हूँ !
दर्द की हर आग जलना चाहता हूँ !!

परिचय :- डॉ. छगन लाल गर्ग ‘विज्ञ’
पिता : श्री विष्णु राम जी
जन्म : १३ अप्रैल १९५४
जन्म स्थान : गांव-जीरावल, तहसील-रेवदर, जिला-सिरोही (राजस्थान)
सम्प्रति : से.नि. प्रधानाचार्य, माध्यमिक शिक्षा विभाग, (राजस्थान)
प्रकाशित कृति/रचनाएँ : ‘विज्ञ विनोद कुंडलियाँ’, ‘विज्ञ छंद साधना’, ‘छगन सवैया छंद’, ‘नैसर्गिक चिंतन के विविध बिंब।, ‘निबंध संग्रह’, सहित कुल १० काव्य संग्रह एवं साझा काव्य संग्रह – लगभग ३८
सम्मान : विद्या वाचस्पति मानद उपाधि एवं अनेकों सम्मान
वर्तमान पता : आकरा भट्टा, शांतिवन, आबूरोड जिला-सिरोही (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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