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आती है जब याद तुम्हारी

रमाकान्त चौधरी
लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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आती है जब याद तुम्हारी,
नयन सजल हो जाते हैं।
धीरे धीरे बारिश वाले,
फिर बादल हो जाते है।

प्रेम प्रदर्शित हो न जाये,
पूरी कोशिश करता हूँ,
इसीलिए तो दिल पर अपने,
पूरी बंदिश करता हूँ।
नयन समझ लेते जब
दिल को तब मरुथल हो जाते हैं।
आती है जब याद तुम्हारी,
नयन सजल हो जाते हैं।

अपनी उँगली की पोरों से,
जब भी तुम छू लेते हो
मुझे लगा कर सीने से
और बस मेरे हो लेते हो।
मेरी आँखों के आँसू, तब
गंगाजल हो जाते हैं।
आती है जब याद तुम्हारी,
नयन सजल हो जाते हैं।

हँसी तुम्हारी अपनी कविता
और गीतों में लिखता हूँ।
तुम संग हमने जितने बिताए
वे सारे पल लिखता हूँ।
सिर्फ तुम्हारे पढ़ लेने से
सब शब्द गजल हो जाते हैं।
आती है जब याद तुम्हारी,
नयन सजल हो जाते हैं।

प्यार निभाने का मसअला है
थोड़ी बात कठिन तो है।
दिल रोयेगा तड़पेगा
इश्क में ये मुश्किल तो है।
संग तुम्हारे मुश्किल के
पल सारे हल हो जाते हैं।
आती है जब याद तुम्हारी,
नयन सजल हो जाते हैं।

परिचय :-  रमाकान्त चौधरी
शिक्षा : परास्नातक
व्यवसाय : वकालत
निवासी : गोला गोकर्णनाथ, लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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