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दीन-दुखी के अधरों पर अब

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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दीन-दुखी के अधरों पर अब,
सुख की मुसकानें रख आएँ।
करें प्रेम की बरसातें हम,
पावन धरती स्वर्ग बनाएँ।।

जाति-धर्म का भेद मिटे सब,
महके जीवन की फुलवारी।
सद्कर्मों के मधुर बोध से,
गुंफित हो ये दुनिया सारी।।
छल-प्रपंच से नाता तोड़ें,
मानवता की ज्योति जलाएँ।

शील-त्याग की ध्वजा थामकर,
मर्यादा की अलख जगा दें।
सदाचार की गंग बहाकर,
पथ-कंटक को दूर भगा दें।।
नैतिकता का पाठ पढ़ा कर,
राग-द्वेष को दूर भगाएँ।

संस्कार हो अंदर जीवित,
कलुष विचारों को भी मारें।
संतापों से पार लगाएँ,
सत्य – अहिंसा की पतवारें।।
आशाओं के दीप जलाकर,
संकट से हर प्राण बचाएँ।

बंजर धरती उगले सोना,
यौवन फसल प्रेम की बोए।
सकल विश्व में हो उजियारा,
नींद चैन की दुनिया सोए।।
मित्र भाव का शंख बजाकर,
गुंजित कर दें दसों दिशाएँ।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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