ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
********************तलाशने चले खुशियां, पर
कोसों दूर निकल पड़ी और
हुई चूर, जीवन में
चकनाचूर सी
जीवन की खुशियांमिलने जुलने की
रीत प्रीत बिना
हुई जीवन में अंधकार सी
जीवन की खुशियांआज मानव भटकती
जीवनशैली में
जीवन की मिलनसारिता
के अभावों पर
अद्भुत द्रष्टा देता दर्शाता
अक्सर पूछता है खुद से
हूँ व्यस्त जरूर
जीवनशैली में
कब कहाँ कैसे
किस मोड़ पर
मिलेगी सच्ची खुशियांउदासीनता सी
झुलसियां में
आपा-धापी के
चकाचोंध
चेहरे में
मुस्कुराहटें
ले ली करवटें
झलकती झुलसियां
और उदासीनता
गुल बस हुई तो, बस
हृदयानंद की खुशियांबांधे अनर्गल
बोझ का सेहरा
गवांकर मौका सुनहरा
पूछता है मानव ओरों से
कहाँ छुपी है
कहाँ बिछुड़ी
जीवन की खुशियांअनमोल खुशियां
जुटाने की हिम्मत
तलाशते तलाशते
अन्तर्मन से सिमटती
सिमट रही अनमोल
अन्तर्मन की खुशियां
प्रेम ममत्व अपनत्व की
तिलांजलि के चक्कर में
अब अवरुद्ध सी
खुशियों भरने की कलासंसार में तड़पता मानव
पाने को खुशियां
अब खुद करने लगा है
जीवन में युद्व
जीवन मे खुशियां पाने कोभेदभाव तकरार की दीवार
आपस में हो जाये दरकिनार
समन्वय की रचना भरकर
स्वतः अन्तर्मन में खुलकर
खुशियां से खुलेगा
अन्तर्मन का द्वारप्रेम स्नेह प्यार से
मानवतावादी की
गहराइयों के गीत में
खुशियां की बूंदों
की बरसात
जीवन में हृदय पर
बस खुशियां ही
छोड़ती है अमित छापजैसे कवि, लेखक
साहित्यकार
अपनी लेखनी से
खुशियों के स्वाद का
बढ़ाते है संसार
साहित्यानुरागियों की
पंक्तियों में बैठकर
अन्तर्मन में खुशियां
का भर सकता है
अनन्त भंडार
आओ यहीं से
खुशियां पाएं
आओ अपने
भीतर भरें यह विचार
श्रेष्ठ करें व्यवहार।
बनाएं जीवन को
खुशियां का
अनन्त संसार।।
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
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