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जकड़न

राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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हाथ बंधा है, पांव बंधा है
और बंधा मस्तिष्क,
चुन सकते नहीं प्रेयसी
कैसे लड़ाएं इश्क़,
हाथ काम तो कर रहे
पर किसी और का,
पांव थिरक जा रहा
किसी के रोकने से,
मस्तिष्क दूसरों के डाले
डाटा अनुसार चल रहा है,
दरअसल यह
मानसिक गुलामी के
जकड़न का असर है,
समाज और समाज के लोगों से
दूर रहने का असर है,
जिस हथियार के दम पर
नौकरी पाया, रुतबा पाया,
उसे भूल धुर विरोधी को गले लगाया,
सालों साल लोगों को बहकाया,
तो समाज की चिंता अब क्यों?
अब कोई तवज्जो दे तो क्यों?
मनन जरूर कीजिए।

परिचय :-  राजेन्द्र लाहिरी
निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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