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उनको जब यह अहम हो गया हो गया

अरविन्द सिंह गौर
इंदौर (मध्यप्रदेश)

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यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया,
हर कार्य होगा उनसे ही उनको यह बहम हो गया।
मुर्गे के बाग देने के पहले ही भोर का सूर्य उदय हो गया।।

यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया।
हर कार्य होगा उनसे ही उनको यह बहम हो गया।

हर कार्य सफल होता है सब के सहयोग से
वर्चस्व की लड़ाई से बना बनाया काम विफल हो गया।।

यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया,
काम उनसे ‌ही होगा उनको यह बहम हो गया।

कहे “अरविंद” सबका साथ-सबका सहयोग होगा
तो आपका हर काम सफल हो गया।

यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया,
काम उनसे ‌ही होगा उनको यह बहम हो गया।

परिचय :-  अरविन्द सिंह गौर
जन्म तिथि : १७ सितम्बर १९७९
निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश)
लेखन विधा : कविता, शायरी व समसामयिक
सम्प्रति : वाणिज्य कर इंदौर संभाग सहायक ग्रेड तीन के पद में कार्यरत
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है


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