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निर्बल संगम

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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व्यक्ति व्यक्ति का निर्बल संगम
कर रहा मानवता को कायर
बोल रही आज अमानवता
कर रहे मानवता में दानवता।

सत्य, स्फुरति, स्पंदन
उड़ गया मानवता से
जागे आज अनेक रावण
करवाते नित नए क्रंदन
एक पुरुष का पौरूष जागे
करें क्या एक अकेला।
इस नर्तन में।

रक्त देख रक्त खोलता था
शिराएं थी तन जाती।
वर्तमनु, मनुष्य नहीं है
मांगना केवल अपनी ख्याति में।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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