अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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तीनों माँयें पूजनीय हैं,
जिननें ऐसे लाल जने।
हुए शहीद युवावस्था में,
पर भारत की ढाल बने।वैदेही वन गमन हुआ जब,
तब जन-जन रोया था,
धैर्य देख लो उन माँओं का,
जिनका सुत खोया था।धन्य धरा है, धन्य देश है,
जिसमें थे तीनों जनमें।
हैं सतवार धन्य माताएं,
निज सुत भेजे थे रण में।भगत सिंह सुखदेव राजगुरु,
तीनों की थी तरुणाई।
भारत माता की रक्षा हित,
ली,तीनों ने अँगड़ाई।खट्टे दाँत किये दुश्मन के,
कोई पास न आता था।
हर अँग्रेजी सैनिक डर से,
नाकों चने चबाता था।सिंह गर्जना सुन तीनों की,
गोरे भी थर्राते थे।
चाँद सितारे भरी दोपहर,
नजर उन्हें भी आते थे।भीषण अत्याचार किया था,
गोरों ने ही झाँसी पर।
माँ का फटा कलेजा होगा,
लाल चढ़े जब फाँसी पर।चूमा था तीनों ने फंदा,
हो बुलंद हँसते-हँसते।
जैसे शाही शेर दहाड़े,
पिंजरे में फसते फसते।जिन्हें प्राण से भी प्यारी थी,
हिन्द देश की आजादी।
इंकलाब का नारा देकर,
नवल क्रांति पल में ला दी।बने युवाओं के पथ दर्शक,
उदाहरण इस पीढ़ी के।
तीनों ही आधार रहे हैं,
आजादी की सीढ़ी के।अँग्रेजी सेना ने जिनका,
हरदम लोहा माना था।
इंकलाब औ जिंदाबाद,
जिनके लिए तराना था।वीर प्रसूता माताओं को,
हम सब शीश झुकाते हैं।
जिनके लाल जान देकर भी,
माँ का कर्ज चुकाते हैं।अधिकारी गोरी सेना के,
मार दिए खुद्दारों ने।
कायरता से फाँसी दे दी,
अँग्रेजी गद्दारों ने।फाँसी पर जब चढे बहादुर,
जयकारा माँ का बोला।
वीर शहीदों की कुर्बानी,
भड़क उठी बन कर शोला।शत शत नमन सभी माँओं को,
सच्चे वीर सपूतों को।
रण कौशल से मार गिराया,
कायर और कपूतों को।
परिचय :– अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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