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राम आते हैं

रेणु अग्रवाल
बरगढ़ (उड़ीसा)
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युग-युग में आकर सदा
अपना वचन निभाते हैं
हर अहिल्या को तारने
एक राम ही आते हैं।

सदियों से हो सिलारूप
असह्य वेदना भोग रही
कब आएँगे वो तारनहार
आतुर नैनों से जोग रही
स्नेह स्पर्श देकर अपना
उसकी व्यथा मिटाते हैं।
हर अहिल्या….।

पुरुष तत्व रहा दंभ भरा
नारी को न स्वीकार पाया
बदला था न बदलेगा कभी
अहं विरासत उसने पाया
अहं का मर्दन करते हैं वो
पुरुषोत्तम राम कहलाते है
हर अहिल्या को….।

नारी पावन होकर भी
देती रही अग्नि परीक्षा
पुरुष प्रधान समाज ने
कब जानी उसकी इच्छा
हर सीता के आँचल में
क्यों सदा काँटे आते हैं
हर अहिल्या…।

प्रेम आड़ में छलता जो
स्त्री के कोमल मन को
क्या पाएगा आत्मा को
छूकर रह गया तन को
प्रेम शक्ति की सत्ता की
वो अनुभूति कराते हैं
हर अहिल्या….।

परिचय :-  रेणु अग्रवाल
निवासी – बरगढ़ (उड़ीसा)
सम्मान – हिंदी गौरव राष्ट्रीय सम्मान २०२२
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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