Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

गगन गोचर देव प्रचंड हैं

ज्ञानेन्द्र पाण्डेय “अवधी-मधुरस”
अमेठी (उत्तर प्रदेश)

********************

द्रुतविलम्बित छंद-वर्णिक छंद
समवृत्तिक (दो-दो चरण- समतुकान्त)- नगण+भगण-भगण+रगण- १२वर्ण

ॐस रवये नम :

गगन गोचर देव प्रचंड हैं ।
प्रसरते चहुँ रश्मि अखंड हैं ।।
परम ज्योति अलौकिक धन्य है ।
सुखद चारु सरूप सुरम्य है ।।

जगत भासित है तुमसे शुभी ।
निरत रहते ना रुकते कभी ।।
जपत जे प्रभु भानु हँ नित्य हैं ।
भरत ते धन-धान्य सुकृत्य हैं ।।

अदिति पुत्र प्रभो तम नाशिकी ।
रवि अहस्कर तेजस मानकी ।।
इसलिए इनको कहते चहूँ ।
कनक रूप धरे दिखते दहूँ ।।

निशि-दिना जगते सुप्रभास हैं ।
जगत के इक सुन्दर आस हैं ।।
अरुणि सारथि हाँकत स्यंदना ।
करत देव जती सब वंदना ।।

दिखत अद्भुत दृश्य मनोहरा ।
अरुणिमा बिखरे जब भास्कर ।।
जयति भानु विकर्तन देवता ।
प्रथम पूज्य अर्क विभेदता ।।

परिचय :-  ज्ञानेन्द्र पाण्डेय “अवधी-मधुरस”
निवासी : अमेठी (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *