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वो रुलाता रहा

सीमा रंगा “इन्द्रा”
जींद (हरियाणा)

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वो रुलाता रहा
मैं हंसती रही
हंसी के पीछे आंसू
छुपाती रही
उन्होंने समझा
बेपरवाह हूं पर मैं
घर -बच्चों को देखती रही
सपने तो संजोए थे
पर पहले जिम्मेदारियां
निभा रही थी
जीवन जो छुटा था पीछे
बस उसे ही धक्का
देने में लगी थी
जब लगाया जोर पूरा
रेस में शामिल मैं हो गई
फिर जिंदगी के इम्तिहान में
प्रथम भी आ गई
अब ना कहना लापरवाह हूं

परिचय :-  सीमा रंगा “इन्द्रा”
निवासी :  जींद (हरियाणा)
विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया।
उपलब्धियां : गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से प्रशंसा पत्र, दैनिक भास्कर से रक्तदान प्रशंसा पत्र, सावित्रीबाई फुले अवार्ड, द प्रेसिडेंट गोल्स चेजमेकर अवार्ड, देश की अलग-अलग संस्थाओं द्वारा कई बार सम्मानित बीएसएफ द्वारा सम्मानित। देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित,कई अनपढ़ महिलाओं को अध्यापन।
प्रकाशन : सतरंगी कविताएं, काव्य संग्रह।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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