Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मुझे जग में आने दो

अजय गुप्ता “अजेय”
जलेसर (एटा) (उत्तर प्रदेश)

********************

मुझे जग में आने दो
अजन्मे की पीर से फटे बिवाई
जो अधिकार की दे रही दुहाई

मुझको जग में आने दो मां।
यूं मत मुझको जाने दो मां।
सदा तुझे आभार कहूंगी,
मां तुझसे मैं प्यार करुंगी।
मां तेरी हूं मैं लाड़ो प्यारी,
बनूंगी सारे जग में न्यारी।।

मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो..
मै हूं जीवित अंश तिहारा,
मैं भी हूं तेरा वंश सहारा।
बदला समय बताना होगा,
पापा को समझाना होगा।
बिगड़ गया अनुपात जताना,
जनसांख्यिक हालात बताना।
अगर न माने फिर भी पापा,
मैं उनसे मनुहार करुंगी।
जीवन भर आभार कहूंगी।।

मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो..
लक्ष्मीबाई या मदर टेरेसा,
क्या कोई बन पाया बैसा।
केवल ना एक धाय थी पन्ना,
ममता का अध्याय थी पन्ना।
जरा बता दो प्यारी अम्मा,
दादी को समझाओ मम्मा।
सब गुण अंगीकार करुंगी,
जीवन भर उपकार करुंगी।।

मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो..
मैं अंतरिक्ष में खोज करुंगी,
एक नया इतिहास लिखूंगी।
जो जो बेटे कर नहीं पाएं,
वो वो विरले काम करुंगी।
नाम से तेरे जानी जाऊं,
ऐसा बारम्बार चाहूंगी।
मां तुझसे मैं प्यार करूंगी,
मैं भी तेरे जिगर का टुकड़ा,
अपना दूध पिला दो हे मां।
यूं मुझको मत जाने दो मां।।
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो …

परिचय :- अजय गुप्ता “अजेय”
निवासी : जलेसर (एटा) (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : स्नातक ऑफ लॉ एंड कॉमर्स, आगरा विश्व विद्यालय, आगरा
सामाजिक कार्य : नियमित रक्तदाता, भारत विकास परिषद, नुपुर शाखा, गौ ग्रास सेवक, गऊशाला गंगेश्वर मुक्तिधाम जलेसर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिल भारतीय व्यापार मंडल,जलेसर, भूतपूर्व सचिव श्री घुंघरू उद्योग मंडल जलेसर एटा, भूतपूर्व सचिव भारत विकास परिषद नुपुर जलेसर
लेखन विधा : दोहा, छंद, मुक्तक, कविता, गीत, कहानीं।
लेखन : छात्र जीवन से अनवरत जारी। काव्य संग्रह प्रकाशनाधीन, शताधिक रचनायें जोकि अमर उजाला ‘काव्या’ एंव साहित्यक रचना ई पत्रिका में समय समय पर प्रकाशित होती रही है। पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित।
उपलब्धि : (१) अंतरराष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच के पटल पर महान स्वतंत्रता सेनानियों पर कविता में शताधिक मनीषियों के साथ भाग लिया और ‘वीर विनायक दामोदर सावरकर’ पर स्वरचित कविता पढी जो कि गोल्डन बुक ऑफ बर्ड रिकार्ड में दर्ज हुई। (२) सिख पंथ संस्थापक ‘गुरु नानकदेव’ के जीवन पर अंतरराष्ट्रीय काव्यपाठ किया जिसमें एक सौ पचास कवि कवित्रियों ने २४ घंटे लगातार काव्यपाठ किया और जो विश्व रिकार्ड के लिये आवेदित है। विभिन्न काव्य सम्मेलनों में नियमित भागीदारी।)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *