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नारी क्या है?

विवेक नीमा
देवास (मध्य प्रदेश)

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वो मानसरोवर, ऋषिकेश
वो रामेश्वर वो संगम है
वो मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे
का एक दृश्य विहंगम है।।

वो लक्ष्मी, अहिल्या, नारायणी
वो केशव की मीरा है
वो सीता, सावित्री, गंगा
वो बहती पवन समीरा है।।

वो जननी, भगिनी और बेटी
भाभी, बुआ और रंभा है
वो काली, कल्याणी,दुर्गा
कभी बन जाती वो अंबा है।।

वो आशा, अभिलाषा, उम्मीदें
वो प्रेम का बहता सागर है
वो दया, करुणा,आदर की
एक झलकती गागर है।।4

वो अपने हाथों के प्यालों से
सदा प्रेम नीर बहाती है
वह संकट में उलझे मन को
हरदम ही सहलाती है।।

वो मन के कोमल पंखों से
ऊँची उड़ान भी भरती है
वो सीने में कई दर्द छुपा कर
ख्याल सभी का रखती है।।

वो माथे की बिंदिया है
वो भरी मांग है सिंदूरी
वो है स्वर्णिम कंठ हार
वो कंगन भी है बहुरंगी।।

वो राखी की पावन डोरी
वो चुनरवाली गणगौरी
वो दीपों का भी है उजास
वो रंग बिरंगी है होरी।।8

वो सागर से भी गहरी है
है हिम सा शीतल मन उसका
वह पर्वत से भी ऊँची है
कभी टूटा नहीं वचन उसका।।

वो यज्ञ की पावन ज्वाला है
वो प्रेम का एक निवाला है
वो धवल, श्वेत से मोती की
मंत्रों वाली माला है।।

वो शक्ति, भक्ति, अभिव्यक्ति
वो निज गौरव की गाथा है
वो निज कुल के हर जन मन की
बनती भाग्य विधाता है ।।

आओ उसको नमन करें
कोटि-कोटि वंदन करें
वही तो ईश्वर रूपा है
जो जीवन का सृजन करें।।

परिचय : विवेक नीमा
निवासी : देवास (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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