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हे! नारी तू उठ

सीमा रंगा “इन्द्रा”
जींद (हरियाणा)

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हे! नारी तू उठ जा
विजयपथ पर
जीत का परचम लहरा जा
तू मत डर
आंधी की तरह बढ़ आगे
डटी रहो
जीवन रथ पर
अरमानों को मत दबा
रख बाजुओं पर भार अपना
चल पड़, निकल ले
उठा ले खुद को।
राहों में मिलेंगे
टेढ़े-मेढ़े रास्ते
मत डरना मत रुकना
डटी रहना पथ पर
मंजिल की कुछ दूरी पर
होगी तू डांवाडोल जरूर
फिर ऊर्जा से भर जाना
रास्ता अब नजदीक है
पथ पर पहुंचेगी
ठोकरे होंगी हजारों सीमा
ठोकरों को मार ठोकर
बढ़ जाना विजय की ओर
परचम जीत का लहरा देना
मर्दानी तू, दुर्गा रूप में खड़ी रहना
सिंह पर हो सवार
डटी रहना विजय रथ पर
लहरा देना जीत का परचम
है नारी तू डटना यूं ही

परिचय :-  सीमा रंगा “इन्द्रा”
निवासी :  जींद (हरियाणा)
विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया।
उपलब्धियां : गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से प्रशंसा पत्र, दैनिक भास्कर से रक्तदान प्रशंसा पत्र, सावित्रीबाई फुले अवार्ड, द प्रेसिडेंट गोल्स चेजमेकर अवार्ड, देश की अलग-अलग संस्थाओं द्वारा कई बार सम्मानित बीएसएफ द्वारा सम्मानित। देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित,कई अनपढ़ महिलाओं को अध्यापन।
प्रकाशन : सतरंगी कविताएं, काव्य संग्रह।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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