प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
********************रंगों का त्यौहार है, तरंगो का त्यौहार है
मिलकर खेले होली, रंगों का त्यौहार हैरंगे रंग एक-दूजे को मिट जाये मलाल
रंग दे प्रेम के रंग से, नीला,पीला,ग़ुलाल
रंगों की फुलवारी में स्वागत बार-बार है
मिलकर खेले होली, रंगों का त्यौहार हैआत्मा से परमात्मा रंगे, मिल जाये कृष्णा
रंगे जीवन को रंगों से मिट जाये हर तृष्णा
परमात्मा से मिलन की अब तो मनुहार है
मिलकर खेले होली, रंगों का त्यौहार हैपाप की होली जला भस्म से ले संकल्प
धर्म पथ पर चले दूजा ना कोई विकल्प
कर्म कर अब बदलना निज व्यवहार है
मिलकर खेले होली, रंगों का त्यौहार हैहोली सदा ही सदभावना का त्यौहार है
मानव से मानवता का बनेगा व्यवहार है
श्याम रंग में रंग जाये, यही सदव्यवहार है
मिलकर खेले होली, रंगों का त्यौहार हैरंगों और तरंगो संग आओ खेले होली
जाति धर्म भूलकर अब खेले हम होली
मानवता को जगाता रंगों का त्यौहार है
मिलकर खेले होली, रंगों का त्यौहार है
पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी
जन्म : २५/११/१९७८
निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़)
संप्रति : शिक्षक
शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा
रूचि : काव्य लेखन, आलेख लेखन, विभिन्न कार्यक्रम में मंच संचालन, अध्ययन अध्यापन
कार्य स्थल : शासकीय माध्यमिक शाला सांकरा
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