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पी गया वह पीर

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 

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पी गया वह पीर ताड़ी की तरह ।
सकपकाया फिर अनाड़ी की तरह ।।

लोग उसकी बात कैसे मानते,
जीभ चलती थी कुल्हाड़ी की तरह ।।

जिन्दगी पर अब मुसीबत नित नई,
टूट पड़ती है पहाड़ी की तरह ।।

सिन्धियों सी कर ख़रीदी माल की,
बेच दे फिर मारवाड़ी की तरह ।।

एक बदली एक पागल के लिये,
सज रही थी एक लाड़ी की तरह ।।

जा रहा था दूर कछुए सा चला,
लौट आया रेलगाड़ी की तरह ।।

“प्राण” पंछी तो उड़ेगा डाल से,
लोग ढूँढेगे कवाड़ी की तरह ।।

परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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