आशीष प्रवीण पंचोली
अमझेरा धार (मध्यप्रदेश)
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भारत की विरासत
हमें प्यारी है,
झलकती जिसमे भारतीय
संस्कृति हमारी है!
सवेरे उठ माता-पिता के
चरण वंदन हम करते है,
छोटो को प्यार-मान
सम्मान हम देते है!
संस्कारो की यह भूमि
बतलाती कई कहानी है,
झलकती जिसमें भारतीय
संस्कृति हमारी है!
भारत की विरासत
हमें प्यारी है !!वेद पुराणो का यहाँ
आचरण किया जाता है,
यहाँ नारी को सीता बालक को
राम कहा जाता है!
बहती नदियो की धारा यहाँ
आस्था के दीप जलाती है,
झलकती जिसमें भारतीय
संस्कृति हमारी है!
भारत की विरासत
हमें प्यारी है !!उत्तर मे बसा हिमालय
नया रूप सजाता है,
त्योहारो को यहाँ मिल
जुलकर मनाया जाता है!
बोली यहाँ प्रेम, स्नेह,
मर्यादा की भाषा सिखलाती है,
झलकती जिसमें भारतीय
संस्कृति हमारी है!
भारत की विरासत
हमें प्यारी है !!इतिहास हमारा विरासते
काई बंया करता है,
चेतक, बादल, पवन, घोड़े
देशप्रेम समर्पणकर्ता है!
लक्ष्मी दुर्गा रूप और
काली शिव को ललकारती है,
झलकती जिसमें भारतीय
संस्कृति हमारी है!
भारत की विरासत
हमें प्यारी है !!सरहद पर खड़ा सैनिक
भारत मां की शान है,
केसरिया, सफेद, हरा तिरंगा
हमारी पहचान है!
जन-गण-मन का राष्ट्रगान और
शहीदों की अमर कहानी है,
झलकती जिसमें भारतीय
संस्कृति हमारी है!
भारत की विरासत
हमें प्यारी है !!हाथो की मेहंदी और
सिंदूर यहाँ के रिवाज है,
तुलसी, नीम, मिर्ची, दादी माँ के
नुस्खे बड़े ख़ास है !
दिया शून्य, वेद, मंत्र जिसने और
चाणक्य निति जहाँ आधारित है,
झलकती जिसमें भारतीय
संस्कृति हमारी है!
भारत की विरासत हमें
प्यारी है !!भारतीय विरासत के गुण गान
का कोई अंत नही है,
ये अन्य देशो मे हमें
लोकप्रियता दिलवाती है,
आप को संवारना है मुझे
कहती विरासत हमारी है,
झलकती जिसमें भारतीय
संस्कृति हमारी है!
भारत की विरासत हमें
प्यारी है !!
परिचय :- आशीष प्रवीण पंचोली
निवास : अमझेरा धार (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।
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