प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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भ्रूण हत्या अब नहीं, बंद करो यह पाप।
वक़्त दे रहा है हमें, तीखा-सा अभिशाप।।कन्या का है जन्म शुभ, सोचो-समझो आज।
क्यों सोता है नींद में, दानव बना समाज।।कन्याएँ मिटती रहीं, तो सब कुछ हो नाश।
जागे अब तो सभ्यता, लेकर चिंतन, काश।।भ्रूण हत्या मूर्खता, बहुत बड़ा अविवेक।
अब जागे इंसानियत, ले विचार सत्,नेक।।नारी यूँ घटती रही, तो बिगड़े अनुपात।
तब आना तय, साँच यह, गहन तिमिर की रात।।पुत्र और बेटी सदा, होते एक समान।।
किस मूरख ने कह दिया, बेटा ही कुल-शान।।कन्याएँ जब जन्म लें, पढ़कर हो उत्थान।
दोनों कुल की शान बन, पूर्ण करे अरमान।।कन्या को यूं मारना, हैवानों का काम।।
होगी भाई इस तरह, असमय काली शाम।।अब सँभलो,जागो अभी, गाओ मंगलगीत।
तभी उजाले को सभी, लेंगे हँसकर जीत।।यही कह रहा आज तो, ‘शरद’ कँटीली बात।
जागो वरना, आ रही, बहुत भयावह रात।।
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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