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नव चेतना का गीत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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जागो अब तो सारे लोगो,
उजियारा वर लो।
बीती बातें दूर करो अब,
तिमिर सकल हर लो।।

नए सोच को धारण कर लो,
मन को अब मोड़ो।
अंधी बातें, विश्वासों की,
जंज़ीरें तोड़ो।।
रुग्ण सोच से कुछ ना होगा,
अच्छे को भर लो।
बीती दूर करो अब,
तिमिर सकल हर लो।।

जाति, धर्म के बंधन तोड़ो,
जागो सब जागो।
नए सोच से नया सवेरा,
सच से ना भागो।।
सभी कुरीति तज दो अब तो,
पावनता भीतर लो।
बीती बातें दूर करो अब,
तिमिर सकल हर लो।।

पतन बहुत होता आया है,
अब बढ़ना होगा।
रूढ़ि हर अभिशाप बनी है,
अब लड़ना होगा।।
कर्मकांड, पाखंड सभी जो,
तजकर सुख भर लो।
बीती बातें दूर करो अब,
तिमिर सकल हर लो।।

थोथी बातें, परंपराएँ,
सबको दूर हटाओ।
झांसे बहुत मिले हैं हमको,
अब धोखा ना खाओ।
दूषित है परिवेश आज तो,
उड़ने को पर लो।
बीती बातें दूर करो अब,
तिमिर सकल हर लो।।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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