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मानवता देखो शरमाई

किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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मानवता का छेद,
जात पात का भेद,
कभी ना बुर पाई,
वोट बैंक की रोटी सेके
जात पात के चूल्हे पर,
मानवता में घृणा पैदा कर,
छेद और भेद बुद्धि में भर देवें,
आज का मानव
शिक्षित और समझदार !
छेद और भेद का फर्क है समझे,
वह हे पढ़ा लिखा इंसान।
छेद और भेद की परिभाषा
है देखो उसके पास,
कम पढ़े (अनपढ़) और
बुद्धिहीन करते
जाति भेद की बात,
आदर्श राम तो शबरी और
केवट को गले लगाते,
प्रेम के साथ,
विभीषण का भेद
नहीं लेते हैं श्री राम,
राम-राज्य में छेद करें,
देखो मंथरा दासी बात,
वन जाते श्री राम प्रभु
छेद भेद की नही बात।
राजनीति में चलती है
छेद-भेद की बात,
भारत में सब मिलजूल कर
रहते हे हर पंथ,
छेद-भेद की बात तो
अशोभनीय देती अपने मुहँ,
वसुदेव कुटुंबकम् का
भाव रहा हरदम,
जात पात का जहर क्यों?
घोलो मानव तन,
जहर पीकर सीखा हमने,
आदर और आदर्श,
नीलकंठ वह (शंकर) कहलाए
जगत हित पीते विष,
प्रेम पाठ को हे रटो,
छेद भेद की नहीं बात,
मिलजुल कर हर क्षेत्र बढ़े,
तभी तो विश्वगुरु कहलाए ,
आत्मनिर्भर भारत की
करे हरदम हम बात,
छेद-भेद से कैसे यह,
आत्मनिर्भर बन जाएं,
सोने की चिड़िया तभी बने,
जात पात मन से मिट जाए,
एकता से काम बने,
छेद-भेद से बिगड़ जाए

“जात ना पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान,
मोल करो तलवार का पडी रहन दो म्यान”

परिचय : किरण पोरवाल
पति : विजय पोरवाल
निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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