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शब्दांजलि

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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ताऊ जी श्री रामचंद्रलाल श्रीवास्तव को विनम्र शब्दांजलि

पिछले कुछ दिनों से मेरे मन में
एक डर सा समाया रहता था,
पर उसका आशय क्या है
बस! यही समझ नहीं आ रहा था।
पर आज सामने आ गया
जब मेरे सिर पर
अपनी अनवरत
सुरक्षा छाया देने वाला
विशालकाय वटवृक्ष
अचानक ही गिर गया।
निस्तेज, निष्प्राण,
अनंत मौन होकर भी
हमें संबल दे रहा था,
जैसे अब भी हमारे
पास होने का हमें
विश्वास दिला रहा था।
पर सच्चाई तो ये है
कि हमें झूठी
तसल्ली दे रहा था।
या शायद हमें अपने
कंधे मजबूत करने का
संदेश दे रहा था।
जो भी हो पर हमें भी पता है
अब वो वटवृक्ष
न कभी खड़ा होगा
न शीतल हवा देगा
न ही हमें सुरक्षा
मिश्रित भाव ही देगा।
क्योंकि वो तो जा चुका है
अपनी अनंत
यात्रा पर बहुत दूर
जिसकी स्मृतियां
हमें रुलाएगी
दूर होकर भी पास होने की
कहानी गुनगुनाएंगी।
अपने आभामंडल से
निकलने की जुगत
हमें टुकड़ों-टुकड़ों
में बताएगी।
हमें भी उससे
निकलना ही होगा
इतना मान सम्मान तो
हमें भी रखना होगा
उनकी तरह विशाल वटवृक्ष
तो बन नहीं सकते
कम से कम
वृक्ष तो बनना होगा।
शायद हमारे
आस-पास रहकर
यही देखने का
उनका भी मन होगा।
तब हमारा भी
दायित्व तो बनता है
उनके सपने को
साकार करना
उनकी ही तरह
हर झंझावतों को
चीरते हुए आगे बढ़ना,
हर मुश्किल का
सामने से सामना करना
और उनका सम्मान करना
अपने जीवन में
निडरता से आगे बढ़ना।
यही तो प्रकृति का नियम है
जिसका पालन
दुनिया कर रही है
और लगातार आगे बढ़ रही है
जिस पर अब हमें भी
बढ़ना ही होगा,
ढाल जैसे रह चुके वटवृक्ष का
तभी तो मान सम्मान
सुरक्षित रहेगा,
तब उनका सुरक्षा चक्र हमें
सदा ही महसूस होगा
उनके लिए यही हमारी श्रृद्धांजलि
और अशेष सम्मान होगा।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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