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शिव शंकर भोले भंडारी

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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शिव शंकर भोले भंडारी, भरते हैं भंडार ।
नीलकंठ कैलाश विराजे, देते वर उपहार।।

हाथ रखें त्रिशूल हैं भोला, देते हैं सौगात।
मोक्षदायिनी जटा जूट में, जैसे पुण्य-प्रभात।।
शीश विराजत चंद्र प्रभो के, गल मुंडो की माल।
तांडव जब करते शंकर हैं, काँपे फिर तो काल।।
जीवन संगिनी पार्वती हैं, रहें नंदी सवार।

प्रभु निष्कामी हैं अन्तर्यामी, त्रिलोकी महाकाल।
सुखकारी हैं मंगलकारी, करते मालामाल।।
बामदेव गंगाधर शंकर, त्रिपुरारी गिरिनाथ।
भूतनाथ शशिशेखर देवा, रहें गणों के साथ।।
व्योमकेश पशुपति पिंगल हैं, कर लो जयजयकार।

ओम नमों का जाप करो सब, निराकार भगवान।
सकल विश्व की रक्षा करते, ज्योति लिंग पहचान।।
मोक्ष दिलाते भक्तो को प्रभु, हरते संकट नाथ।
शिव महिमा गा रहे देवता, भस्म रखें सब माथ।।
दुखभंजन हैं अलख निरंजन, प्रभु हैं तारणहार।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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