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अब इसी बात का डर है !

डाॅ. रेश्मा पाटील
निपाणी, बेलगम (कर्नाटक)
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अब शराबियों का
कोई डर नहीं है
बदमाशों के खौफ से भी
गली नहीं कांपती
शराब अपनी बोतल में
ठंडी पडी होती है
तिजोरियों के ताले
बदमाशों के हाथ लगे हैं
डर बंदूक का नहीं है
डर तलवार का भी नहीं है

अब मुझे रंगों से डर लगता है
पड़ोस में रहने वाले पड़ोसी का
अब पड़ोसी
कट्टरता से हरा हो गया है
धर्मांधता से भगवा हो गया है
हठधर्मी से नीला हो गया है
मुझे नहीं पता कि भारत में
कितने गांव और कस्बे हैं
लेकिन हर गांव में
हर शहर में भारत है
अब डर लगने लगा है की
भारत का अंत हो रहा है

यहां धर्मों की
घोषणा के साथ
विविधता से भरी
गली हिल गई है
और दिल्ली सोने का
नाटक कर रही है
और खर्राटे ले रही है
दिल्ली क्या अब कभी
जागृत नहीं होगी?
मुझे अब इस बात का डर है

नाथूराम गांधी की
मूर्ति के सामने खड़े हैं
लेकिन गांधी की छाती मे
एकरूपता से
रहीम के साथ रहे
राम खतरे में हैं
मानवता के राम का
अपहरण हो गया है
मुझे अब इस बात का डर है

यीशु का लहू पीने से
फादर गरीबों की
भूख खरीद रहे हैं
क्रूस पर खिला प्रेम का फूल
मुझे नहीं पता कि यह कहां गया
लेकिन अफवाहें फैल गईं
की प्रभु फिर आएंगे
यीशु फिर से आ के
अब क्या करेगा?
मुझे अब इस बात का डर है

मदरसा बोर्ड पर,
उल्टी तरफ से
मुझे नहीं पता की
क्या लिखा जा रहा है
लेकिन अल्लाह
मानवता का दरिया है
कुरान यही कहता है
इसे कहां छिपा रहे है
मौलवी? और क्यूँ ?
कल, जब तलवारें
तेज की जाएंगी,
मेरा असलम,
मेरा तौफीक और शोएब
यह वास्तव में कहाँ से आएगा?
मुझे अब इस बात का डर है

रोटी का अति सेवन कर कर के
सुंदरी सी भूख अब मिट गई है
संविधान खतरे में है
लेकिन यह धर्म सिर में है
हमारा इतिहास हजारों साल
पीछे चला जाता है
उसे मानवता पे बम
गिराते गिराते कहा जा रहा है
क्या वास्तविक इतिहास
अज्ञात रहेंगा आने वाले
पीढी के लिये ?
लेकिन इससे यहां का
भूगोल हमेशा के लिए
खत्म हो जाएगा
और आदमी भी
मुझे अब इस बात का डर है

अब देखो
आदमी के रूप में
आदमी को
मेरी कविता
जीवित रखने की
कोशिश कर रही है
धर्म के भक्तों को
यह अच्छा नहीं लगेगा
लेकिन फिर भी मेरी कविता
एक हाथ में तिरंगा
और एक हाथ में रोशनी ले के
यहां के गांव-गांव
और शहर-शहर जरूर जायेंगी
लेकिन,
कविता ही मारी जा रही है
मुझे अब इस बात का डर है

परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील
निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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