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सुनो !! प्राणाधार!!!

निरूपमा त्रिवेदी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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सुनो !! प्राणाधार!!!
तुम्हारे स्नेहिल स्पर्श से
फूट पड़ते हैं मेरे मन में
प्रेम के नव अंकुर
स्नेहमयी रक्तिम कोपले
नवागत किसलयो पर
खिल उठते हैं परागमय सुमन
सुरभि से सुवासित मेरी सांसे
अधरो पर तुम्हारे मुस्कान चाहे

सुनो !! प्राणाधार!!
तुमसे जीवन की सार्थकता
तुमसे ही पाती मैं पूर्णता
तुम्हें हर्षित देखकर ही तो
सजती है अधरो पर मेरे
हर्ष भरी मधुरिम मुस्कान
गहराई अमराई देखकर ज्यो
कोकिल गा उठती है मधुर गान
अनुभूति होती है सुखद प्रियतम
ज्यो जीवन उत्सव- सा उल्लासमय

सुनो !! प्राणाधार!!!
सजा लो ना तुम भी मुखड़े पर अपने
प्रेम विश्वासमयी एक मधुर मुस्कान
तुम्हारी मुस्कान से सजता मेरा संसार
हाँ ! तुम्हारा प्रेम करता है मेरा श्रृंगार

परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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