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क्या तुम जागा करते हो

किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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क्या तुम जागा करते हो,
भारत माता के रखवाले,
क्या तुम कभी सोते हो?,
तुम तो जागा करते हो

कोई दुश्मन ना आने पाए,
अडिग खड़े तुम रहते हो,
आंधी तूफान हो या बारिश,
हिमपात या हो विपदा,
कभी नहीं तुम डिगते हो,

अपना हौसला बुलंद तुम रखते,
वीर योद्धा तुम भारत के हो,
क्या तुम जागा करते हो,

भारत भूमि की शान तुम्ही से,
आन बान और स्वाभिमान तुम्ही से,
निंद्रा पर विजय हे पाकर,
तुम सदैव जागा करते हो,

तुम पर नाज हमें हे भाई,
तन मन धन न्योछावर करके,
तुम तो जागा करते हो,

देश के नौजवानों जागो,
बहुत सोए अब तो जागो,
समय बीतता जाता है,
अपने जीवन को अभी सँवारों
समय गुजरता जाता है,

कुछ पाने के हे खातिर,
कुछ तो खोना पड़ता है,
कुछ करने की राह पकड़ लो,
संघर्षों से भरा ये जीवन है,

रोडे भाटे और कठिनाई,
सब पथ को पार तो करना है,
तभी तो जागते रहना है

परिचय : किरण पोरवाल
पति : विजय पोरवाल
निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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