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संग तु और नदी का किनारा है

प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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ये दिल कैसे प्यार में आवारा है
तेरे बिन जिंदगी कैसे गुजारा है
क्या हंसी ये रुत और नजारा है
संग तु और नदी का किनारा है

रेत पर हम आशियाना बना लेंगे
फूल पौधो से इसको सजा लेंगे
बचपन की यादों का सहारा है
संग तु और नदी का किनारा है

उंगलिया अटखेलीया करते रहे
नाम को आगे पीछे उकरते रहे
रेत का घर ये कितना सुहाना है
संग तु और नदी का किनारा है

हम नाम लिखते और मिटाते रहे
एक दूजे को जैसे आजमाते रहे
एक दूजे की यादें ही सहारा है
संग तु और नदी का किनारा है

आओ मिलकर के घरौंदा बनाये
सजिले सपनो से उसको सजाये
कितना सुन्दर ये सब नजारा है
संग तु और नदी का किनारा है

परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी
पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी
जन्म : २५/११/१९७८
निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़)
संप्रति : शिक्षक
शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा
रूचि : काव्य लेखन, आलेख लेखन, विभिन्न कार्यक्रम में मंच संचालन, अध्ययन अध्यापन
कार्य स्थल : शासकीय माध्यमिक शाला सांकरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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