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विदिशा का जन्मदिन

नितेश मंडवारिया
नीमच (मध्य प्रदेश)
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विदिशा आज बहुत खुश थी। उसका चौथा जन्मदिन जो था। शाम को उसके दोस्त घर पर आने वाले थे। मां आकांक्षा ने मटर पनीर, पराठे, पकौड़े और खीर की तैयारी कर ली थी। वह अपनी ही दुनिया में मस्त थी। तभी उसके पापा आशीष ने आवाज़ लगाई, बिटिया रानी नहा-धोकर तैयार हो जाओ। पहले मंदिर फिर बाजार चलेंगे। विदिशा ने शीघ्र ही तैयार होकर हर वर्ष की तरह दादा-दादी के पांव छुए। फिर खुशी से उछलते हुए पापा-मम्मी के साथ चली गई। खरीदारी हो जाने के बाद वे केक और चॉकलेट की दुकान पर पहुंचे। विदिशा की पसंदीदा चॉकलेट की तरफ इशारा करते हुए आशीष ने दुकानदार से उसे पैक करने के लिए कहा पर, नहीं अंकल, उसे नहीं पैक करना सुनकर आकांक्षा चौंक गई और विदिशा से कहा, पर बेटा वह तुम्हारी फेवरिट चॉकलेट है पिछली बार भी तुमने अपने दोस्तों को वही चॉकलेट दी थी। पर इस बार नहीं मम्मी-पापा इस बार आप दादी और नानी के हाथ के बने देसी घी के लड्डू दीजिए। मेरे सब दोस्तों को पसंद आएंगे। आखिरकार सब खरीदारी हो जाने पर तीनों घर आ गए। शाम को नानाजी ने घर पर जन्मदिन के अवसर पर भजन संध्या रखी और विदिशा का धूमधाम से जन्मदिन मना। विदिशा ने अपनी मोसी प्रज्ञा, दोस्तों और परिवार के साथ खूब मस्ती की। रात को आशीष-आकांक्षा ने मन में चल रहे सवाल को आख़िर बिटिया रानी के सामने रख ही दिया कि इस बार उसने चॉकलेट क्यों नहीं ली? कुछ नहीं मम्मी-पापा, बस कुछ दिन पहले किताब में पढ़ा था कि एक किलो चॉकलेट बनाने के लिए कई हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। और मम्मी-पापा जब हमारी कॉलोनी में घर में पानी नहीं आता, तो अक्सर बाहर से पानी भरते हैं। सोचा चॉकलेट खाना कम कर दूं तो थोड़ा पानी बचाया जा सकता है। मैंने अपने दोस्तों को भी यह बात बताई पापा तो सबने यही कहा, हां यह अच्छा आइडिया है। आशीष-आकांक्षा की आंखें भर आई और वह सोचने लगे कि आइडिया कैसा है, वह नहीं जानते पर यह सच है कि बिटिया रानी बड़ी हो रही है और समझदार भी। इससे ज्यादा खुशी की बात माता पिता के लिए क्या हो सकती थी कि बिटिया रानी दोहरी परवाह कर रही थी। उसकी पढाई केवल किताबी नही थी।

परिचय :- नितेश मंडवारिया
निवासी : नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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