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प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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संविधान की शान निराली,
हम निज गौरव पाये हैं।
सम्प्रभु हम, है राज हमारा,
अंतर्मन मुस्काये हैं।।क़ुर्बानी ने नग़मे गाये,
आज़ादी का वंदन है।
ज़ज़्बातों की बगिया महकी,
राष्ट्रधर्म-अभिनंदन है।।
संविधान की छटा निराली,
आकर्षण घिर आये हैं।
सम्प्रभु हम, है राज हमारा,
अंतर्मन मुस्काये हैं।।संविधान में अधिकारों की,
बातों ने हर दिल जीता।
सप्त दशक का सफ़र सुहाना,
हर दिन है सुख में बीता।।
संविधान की गति-मति के तो,
पैमाने नित भाये हैं।
सम्प्रभु हम, है राज हमारा,
अंतर्मन मुस्काये हैं।।शिक्षा और व्यापार मुदित हैं,
उद्योगों की जय-जय है।
अर्थ व्यवस्था,रक्षा,सेना,
मधुर-सुहानी इक लय है।।
संविधान की स्वर्णिमआभा,
विश्व गुरू पद पाये हैं।
सम्प्रभु हम, है राज हमारा,
अंतर्मन मुस्काये हैं।।जीवन हुआ सुवासित सबका,
जन-गण-मन का गान है।
हमने जो पाया है उस पर,
हम सबको अभिमान है।।
संविधान के कारण ही हम,
विजय नित्य पा पाये हैं।
सम्प्रभु हम, है राज हमारा,
अंतर्मन मुस्काये हैं।।
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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