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सोनिल है हर ग्राम

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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शस्य-श्यामला मात भारती, सोनिल है हर ग्राम।
शत-शत नमन धरा को करते, कण-कण बसते राम।।

शीश मुकुट काश्मीर सजता, हिमगिरि इसकी शान।
मनमोहे हरियाली धरती, गांधी हैं पहचान।।
सोने की चिड़िया कहते थे, जप लो आठों याम।

पावन मातृभूमि है अपनी, रत्नों की है खान।
सत्य अहिंसा की थाती ये, अपना देश महान।।
धरती का शृंगार अनोखा, गंगा उद्गम धाम।

मानवता का रक्षक न्यारा, समझे जग की पीर।
प्रेम एकता पाठ पढ़ाते, तुलसी और कबीर।।
नित्य नेह के दीपक जलते, लगता तिलक ललाम।

तीर्थ हमारे पावन सारे, संविधान है ढाल।
दिव्य-ऋचाएँ लगतीं प्यारी, तोड़े हर दीवाल।।
गौरव गाथा इसकी गाओ, कर्म करो निष्काम।

याद दिलाती है राणा की, वीरों की हर जंग।
बुंदेलों की वसुंधरा का, देख वसंती रंग।।
दिव्य ज्योति नित जले नेह की, जानो तो अविराम।

सकल जगत् में कीरत इसकी, जन गण मन है गान।
गगन तिरंगा लहराता है, रखो सदा ही मान।।
वंदे मातरम् सदा कहते, शूरवीर अविराम।

चरण पखारो भारत माँ के, खेले जिसकी गोद।
तन-मन करो समर्पित अपना, भूलो सब आमोद।।
भोर सुनहरी शाम केसरी, शत-शत करें प्रणाम।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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