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ये सांसें अनमोल हैं

संजय कुमार नेमा
भोपाल (मध्य प्रदेश)

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ये सांसें बहुत अनमोल हैं
देह के भीतर जाती है
बहुत पीड़ा पाती है।
पीड़ा पाकर ही यह आतीं हैं।
जब सांसे अहंकार से
मुलाकात कर बैठी तो
जीवन में दुःख ही पाती है।
ये सांसें गिनती की मिली हैं
ये सांसें अनमोल हैं।
इस धरा पर आयें हैं
इसका ध्यान रखना है।
एक-एक सांस का हिसाब रखना है।
इससे पहले देह का इनसे नाता छूटे,
इन सांसों का हिसाब रखना है।
ये सांसें अनमोल हैं।

परिचय :- संजय कुमार नेमा
निवासी : भोपाल (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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