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नूतन किसलय खिलते उपवन

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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नूतन किसलय खिलते उपवन,
आह्लादित होता तन-मन है।
नव उजास लाया है दिनकर,
नवल वर्ष का अभिनंदन है।

नवल शांति की सरगम गूँजे,
विषधर आंतकी दम तोड़े।
सुघड़ चाँदनी शशि की बिखरे,
दूर तिमिर-घन हो कर जोड़े।।
नव उमंग है नव तरंग भी,
मस्तक लक्ष्यों का चंदन है।

आत्म-शक्ति के पावन पथ में,
नव चिंतन का गंगाजल भी।
उर सुरभित है कुसुमाकर -सा,
पुलकित ममता का आँचल भी।।
सद्भावों की नवल ज्योति में,
यश-वैभव का गठबंधन है।

नवल सृजन मनभावन कवि का,
सत्य-अहिंसा पथ दिखलाए।
धर्म-वेद की प्रखर ऋचाएँ,
अंतस में विश्वास जगाए।।
हुए संगठित भेद त्याग कर,
सौगात मिली अपनापन है।

नव निखार जीवन में आए
कर लो स्वागत आगत का।
नव कीर्ति की फैले पताका,
नाम विश्व में हो भारत का।।
उत्कर्षों की ज्योति जली है,
भोर सुखद आई आँगन है।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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