Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

कर्तव्यबोध

माधवी तारे
लंदन
********************

दरवाजे की बेल बजी– “आंटीजी दरवाजा खोलो मैं आई हूं” ये कामवाली की आवाज थी.
द्वार खोलते ही मैंने उससे कहा – “अरे… तुम्हारे पति शांत हो गए हैं न … तुमने अपनी जगह दूसरी बाई दी थी। वो दो दिन से अच्छी तरह से काम कर रही है फिर तुम आज कैसे?”
“आंटीजी माफ करना, काहे का पति, और काहे का बच्चे का पिता… आज २५ साल पहले बिना कहे वो मुझे और मेरे चार साढे चार साल के बेटे को बेसहारा छोड़ कर गया था… हमें नहीं मालूम, तब से आज तक उसने ये तक न पूछा कि हम जिंदा हैं कि मर गए… अपने कर्तव्य से मुंह फेर कर गुलछर्रे उड़ा रहा था… पर कर्म ने किसे छोड़ा है क्या ! २५-२७ साल तक न उन्हें हमारी याद आई न अपने परिवार की…. पर अबकी बार बीमार हो कर अपनी बहन के घर आ गया।”
ननंद जी को मैंने कहा कि “आपने मुझे क्यों बताई ये बात… जबसे गया तभी से मैंने बेटा बड़ा किया, उसकी पढ़ाई, शादी की… भगवान की कृपा से उसकी दो बेटियों और एक बेटे को भी मैं पाल पोस रही हूं।
उसने आगे जो कहा उससे मैं हैरान रह गई… वह बोली – “इधर आप लोगों से झूठ बोलती रही कि मेरे पति संन्यासियों के जत्थे के साथ बिना बताए चला गया है… पर ये सब झूठ था आंटीजी.. मुझे पता चला कि उसने एक दूसरी धर्म की महिला के साथ शादी करके अपनी घर गृहस्थी बसा ली है… उसकी दो बेटियां भी हैं… घर-बार सब उसने उसके नाम कर दिया है… उधर उसके बेटे के बच्चों को भी मैं ही संभाल रही हूं घर-घर काम करके… और एक कमाल कि मैंने बहू को कोरोना में मायके जाने से मना किया लेकिन मानी नहीं… वहां गई और गुजर गई… अब आप ही बताओ आंटी जी… कि मैं अपने पति का क्यों सूतक पालूं?”
“मेरे सामने ही मेरे पोते की एक महीने पहले मौत हो गई, पता नहीं क्या खा लिया था… अब दो पोतियों को आज के जमाने में सँभालना कितना कठिन है आप तो जानती ही हो… जो अपने कर्तव्य से मुख मोड के सुख की जिंदगी जी रहा था उसका सूतक और शोक मैं क्यों पालूं भला…?”
सच्चाई के बावजूद एक स्त्री होकर दूसरी स्त्री की भावना जानने में मुझे थोड़ी तकलीफ जरूर हुई लेकिन उनको नज़रअंदाज करते हुए मैंने उसे काम करने के लिये घर में बुला लिया…

परिचय :- माधवी तारे
वर्तमान निवास : लंदन
मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *