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ओ मेरे बचपन के साथी

हंसराज गुप्ता
जयपुर (राजस्थान)

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गुड्डे-गुडिया, चूरन की पुडिया,
किसकी मां किसको दे जाती,
सांझ-सवेरे, खेल-घनेरे,
बेईमानी सबको भाती,
कुश्ती मस्ती खींचातानी,
हों-हों खो-खो बहुत सुहाती,
ओ मेरे बचपन के साथी!

अजीतगढ़ से चिमनपुरा, फिर
से पैदल की मन में आती,
सबका कब रास्ता कट जाता,
जाने कब मंजिल दिख जाती,
ओ मेरे बचपन के साथी!

बायकाट किया, हड़ताल हुई,
पड़ताल एक ही सवाल उठाती,
उदंडी कोई, दंड सभी को,
चुगली मुख पे, क्यों ना आती ?
ओ मेरे बचपन के साथी!

स्कॉलरशिप के पैसे मिलते,
किसने किसकी फीस चुका दी,
नई पोथी के टुकड़े करते,
भोजन की हो जाती पाँती,
ओ मेरे बचपन के साथी!

जिम्मेदार हुए, घर बार छोड़कर,
सारे साथी बिछुड़ गए,
सेवानिवृत्त हो रही सभी अब,
इतने दिन यूं ही पिछुड़ गए,
जल्दी जल्दी दिन ढलते हैं,
जल्दी जल्दी रातें जाती,
ओ मेरे बचपन के साथी!

बालकपन और अल्हडपन में,
हम जिनके बिन रह ना पाये,
कालचक्र की व्यग्र कहानी,
एक दूजे को कह ना पाये,
हृदय में उथल-पुथल है गहरी,
धडकन में सिरहन गहराती,
ओ मेरे बचपन के साथी!

उमर सरक रही है, सर-सर,
अब मेरी भी बारी है,
खुश रहना, चौपाल सजेंगी,
बातें अभी उधारी हैं,
इस जीवन की बीती घड़ियाँ,
लौट के वापस, क्यों ना आती?
ओ मेरे बचपन के साथी!

बच्चे निश्चिंत हो बस्ता फेंकें,
अपने बचपन की याद दिलाती,
होड करें, फिर दौड लगायें,
खेलें मिट्ठू घोडा हाथी,
आओ फिर से साथ पढें,
बन जायें दूल्हा और बाराती,
जल्दी जल्दी दिन ढलते हैं,
जल्दी जल्दी रातें जाती,
ओ मेरे बचपन के साथी!

जीवन की बीती घड़ियाँ,
काश! लौट के फिर से आती?
अरविंद, सुशील, नरेंद्र, बिरजू ***
प्रकृति हमको वापस लौटाती,
हृदय में उथल-पुथल है गहरी,
धडकन में सिरहन गहराती,
ओ मेरे बचपन के साथी!

*** (अरविंदजी भारद्वाज खोरी, सुशीलजी दीक्षित (झाडली), नरेंद्रजी बावलिया, बिरजूजी कुमावत आदि)

परिचय :-  हंसराज गुप्ता, लेखाधिकारी, जयपुर
निवासी : अजीतगढ़ (सीकर) राजस्थान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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