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अनुभव भरा खजाना

अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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हैं अनमोल धरोहर घर की,
बूढ़ी दादी नानी।
इनके पास छड़ी जादू की,
दोनों बड़ी सयानी।

नुस्खों का भंडार भरा है,
अनुभव भरा खजाना।
इनके पास दवा खाना है,
नहीं वैद्य घर जाना।

जीवन के अनुभव संग्रह कर,
रखतीं दादी नानी।
बतलातीं निरोग वो रहता,
पियें गुनगुना पानी।

सुबह शाम जो पैदल चलता,
उसे रोग ना घेरे।
वे धनवान सदा रहते हैं,
जगते बड़े सवेरे।

जिनको सूरज रोज जगाता,
वे रोगी हो जाते।
जो सूरज को स्वयं जगाते,
रोग पास ना आते।

जीवन जीना हमें सिखातीं,
कौशल भी बतलातीं।
कैसे रहे निरोगी काया,
योगासन सिखलातीं।

सारे घर को बाँध नेह से,
हैं परिवार बनातीं।
अगर रूठता कोई परिजन,
जाकर उसे मनातीं।

अनुशासन का पाठ पढ़ातीं,
हैं सम्मान सिखातीं।
कोई परिजन राह भटकता,
उसको राह दिखातीं।

सारे घर को एक बनाना,
दादी नानी करतीं।
सूखे, मुरझाए रिश्तो में,
नीर प्यार का भरतीं।

अगर सिलाई टूट जाती है,
तुरपाई करतीं हैं।
कोई रिश्ता अगर उखड़ता,
अपनापन भरतीं हैं।

मन के तन के हर घावों को,
भरतीं दादी नानी।
दुनिया की हर बात याद है,
मौखिक इन्हें जवानी।

हैं प्रत्येक रोग की औषधि,
प्यारी दादी नानी।
करूँ लेखनी बंद यहीं पर,
पूरी हुई कहानी।

परिचय :अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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