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सर्द भरे इस मौसम में

रामेश्वर दास भांन
करनाल (हरियाणा)
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सूनी सड़कें, सूनी गलियांँ,
हो जाती हैं इस मौसम में,
ठंड कड़ाके की पड़ती है,
सर्द भरे इस मौसम में,

पहाड़ों पर बर्फ की चादर,
सुहानी लगती है इस मौसम में,
सफेद रंग में रंगे हैं पर्वत,
मानो शान्ति चाहते इस मौसम में,

गांँव शहर सब में ठंडक,
आग जलाते इस मौसम में,
सर्द हवाओं का जो चलना,
बड़ा सताता इस मौसम में,

खेतों में जो खड़ी फसल हैं,
दाना लेती इस मौसम में,
लहलाती हैं पीली सरसों,
मन भा जाती इस मौसम में,

गर्म रजाई ओढ़े मैया,
दुबकी रहती इस मौसम में,
छत पर जाकर धूप सेकते,
लोग लुगाई इस मौसम में,

सूर्य देव भी रूठे रहते हैं ,
कोहरे में खो जाते इस मौसम में,
इंतजार सभी किरणों का करते,
कब निकले सूरज इस मौसम में,

परिचय : रामेश्वर दास भांन
निवासी : करनाल (हरियाणा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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