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भारत की आब पंजाब

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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पंच और आब से बना पंजाब
यह पांच नदी का उद्गम है
इसी धरा ने जनधन पाला,
महां स्तंभ भारत का है।

प्यारे देशवासियों ऋग्युग के,
ना ऐसी बात करें
जिससे टुकड़े हों भारत के
अखंडता को खतरा‌ हो।

भारत की सीमाएं उत्तर में,
यूरोप की निकटवर्ती थीं
दक्षिण में हिंदमहासागर‌की,
अंतिम सीमा भी अपनी थी
उन द्वीपों में बसी आज भी
भारत की संस्कृति है
आर्यों की प्राचीन कथाएं,
वहां आज भी‌ प्रचलित हैं

गुरु तेग बहादुर, गुरु नानक
की वाणी को याद करें
अखंडता और रहे एकता
गुरवाणी को याद करें
भारत के वीरों की भूमि,
यह वीरों की आंखों का पानी ‌है
इन वीरों की गाथाएं
धरती पर लासानी हैं

तोड़फोड़ की बात करें ना,
ना भाई से भाई बिछुडें
कोई विदेशी तोड़ न पाए,
हम सब भारत के बेटे
हम अपने ऊपर हावी
नहीं किसी को होने देंगे
हम भारतवासी चहुंदिशाओं,
सीमाओं के रक्षक‌ होंगे।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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