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श्रमिक देव

दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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जिनके लघु स्वेद कणों से,
मिट्टी भी सोना हो जाती है,
जिनकी भुजाओं के बल से,
नई ज्योत्सना खिल जाती है!…

ऐसे श्रम वीरों ने सदा से,
धरती का रूप सँवारा हैं,
हल, हथौड़ा, हँसिया से,
मोड़ी इतिहास की धारा हैं!…

इन्होंने दुनिया को सदा दिया,
वैभव ऐश्वर्य सुख सुविधाएं,
और बदले में सदा पाया हैं,
आंसू क्रंदन अभाव पीड़ाएँ!….

धनपतियो का सारा वैभव,
इनके श्रम पर टिका हुआ है,
धरा का सम्पूर्ण निर्माण भी,
इनके ही हाथो तो हुआ है!…

भौगोलिक सीमाओ से परे,
ये अनवरत सृजन करते जाते हैं,
परं देवतुल्य श्रमिक कहीं भी,
इसका भोग नही कर पाते हैं!…

परिचय –  दिनेश कुमार किनकर
निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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