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सदा विजय होती है उनकी

अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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जिनमें भरा स्वाबलंबन है,
वे मुहताज न होते।
सदा राज करते दुनिया पर,
कभी ताज ना खोते।

जो सागर का ह्रदय चीरते,
वे मोती पाते हैं।
जो गहरे जाने से डरते,
बैठे रह जाते हैं।

जो फैलाते पंख हवा में,
अंबर में उड़ जाते।
जो संकल्प करें ध्रुव जैसा,
ऊँचाई हैं पाते।

कर प्रयास जो सागर को भी,
गागर में भरते हैं।
उनकी सदा विजय होती है,
जो प्रयास करते हैं।

रखें इरादे जो फौलादी,
सदा सफलता पाते।
तूफानों से जो डर जाते,
वे पीछे रह जाते।

परशुराम सा तेज धारकर,
जो आगे बढ़ते हैं।
प्रभु की कृपा प्राप्त कर पंगु,
उच्च शिखर चढ़ते हैं।

वादा करें स्वयं से पक्का,
रक्खें अटल इरादा।
सारे काम करें दृढ़ता से,
मिले भाग्य से ज्यादा।

जो अपना पुरुषार्थ जगाकर,
पौरुष दिखलाते हैं।
पथरीली राहों पर चलते,
वही शिखर पाते हैं।

कठिन परिश्रम करके जो जन,
निज तन स्वेद बहाते।
पीड़ा मय पहाड़ जीवन का,
कर श्रम उसे ढहाते।

जो तूफानों का मुख मोड़ें,
और आसमा छेदें।
जो वसुधा का सीना चीरें,
और गगन को भेदें।

रातों का सन्नाटा चीरें,
रातें स्याह हटायें।
ताकतवर मानव से हारीं,
गम की तमस घटायें।

अगर शिखर पर तुमको जाना,
ऊपर चढ़ना होगा।
भले वेड़ियाँ हों पाँवों में,
आगे बढ़ना होगा।

परिचय :अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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