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नव सृजन

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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मानवता की सेवा में लग,
तू भी अपना भाग्य जगा ले।
ईश्वर है करुणा का सागर,
तू भी उसकी करुणा पा ले।
मानवता की सेवा…

ईश्वर ने करुणा कर मानव तन,
मुक्ति के हेतु दिया है।
पर माया के दल-दल में,
फंसकर हमने दुरपयोग किया है।
जो जग माया में उलझे हैं,
उनको तू प्रभु धाम दिखा दे
मानवता की…

जिनको प्रभुका धाम भा गया,
प्रभु भक्ति में रम जाएंगे।
सुमिरन होने लगा नाम का,
तो माया से बच जाएंगे।
तीर्थाटन का स्वाद चखाने,
को जीवन उद्देश्य बना ले।
मानवता की…

जिसको प्रभु सम्पन्न बनाता,
वो धन का उपयोग करेगा,
नहीं बढ़े पग सन्मार्ग पर,
तो धन का दुलयोग करेगा
तू सन्मार्ग दिखाकर उसको,
उसके धन को धन्य बना ले।
मानवता की…

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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