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नवा साल के अगोरा

परमानंद सिवना “परमा”
बलौद (
छत्तीसगढ)
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छत्तीसगढ़ी कविता

सगा बरोबर सब रददा देखत हे,
नवा जिनगी शुरु करें बर अगोरा करत हे,
जम्मो जन नवा साल
के आगोरा करत हे.!

नोनी बाबु नवा साल बर
पिकनिक मनाये के तैयारी करत हे,
नवा जोड़ी शादी के बंधन में
बंधे के अगोरा करत हे.!

नवा साल सबके
जीवन में मंगल हो,
हर गांव में नचई-गुदई अउ
सत्संग के तैयारी चलत हे.!

नवा साल मा प्रेमी-प्रेमिका
अपन प्रेम के इजहार करें
बर अगोरा करत हे,

नवा साल मा सब अपन
जीवन मा परिवर्तन करें के
अगोरा करत हे.!

जम्मो जन नवा साल
अगोरा करत हे.!!

परिचय :- परमानंद सिवना “परमा”
निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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