Tuesday, December 3राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सूर्य का संदेश

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

********************

संक्रान्ति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य का बल ही इस दिन को पर्व बना देता है। भौतिकवैज्ञानिकों ने सूर्य के भौतिक स्वरूप को प्रतिपादित किया है, धर्मप्रवर्तकों ने उसको सूर्यदेव कहकर पुकारा। इनके अतिरिक्त सूर्य के दर्शन होने पर एक प्रकार की नैतिक एवं आध्यात्मिक अनुभूति भी होती है। प्रतीत होता है मानो सूर्य हम मानवों को कुछ संदेश देना चाहता है। संक्रान्ति के पावन पर्व पर सूर्य का यह संदेश सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचे, इस लेख का आशय यही है।

सूर्य प्रबलतम् एवं बलवान है किंतु अहंकारहीन एवं विनम्र। अहंकार संस्कारहीनता है, विनम्रता मानवधर्म, जीवनधर्म है। जितना बलवान उतना ही विनम्र, जितना समर्थ उतना ही सम्यक् दृष्टि युक्त। हमें सूर्य से शिक्षा लेनी चाहिए- सर्वशक्तिमान किंतु विनम्र, बलवान किंतु संस्कारयुक्त, निष्ठावान किंतु निष्कामभाव, आस्थावान किंतु विवेकशील, धर्मयुक्त एवं सृष्टि का रचयिता- सूर्य के ये गुण हमें सोचने को प्रेरित करते हैं।
वस्तुत सूर्य सृष्टि का सर्वाधिक बलशाली अवयव है, निष्ठापूर्वक ऊर्जा तथा प्रकाश का वितरण करता है, सृष्टि की उत्पत्ति में आस्था रखता है। सृष्टि का आधार है तथापि निरभिमान। सृष्टि का रचयिता होकर भी विनीत। प्रकाशित होना उसका धर्म है, किंतु शब्द की अवहेलना नहीं की। सूर्य संस्कारवान है, स्वाभाविक है- विद्या ददाति विनयं। कभी रूठकर नहीं बैठा कि आओ मानव, मुझे मनाओ अन्यथा तुम प्रकाश तथा ऊर्जाहीन हो जाओगे। कभी अपना धर्म अर्थात् प्रकाश नहीं त्यागा। यही उसका संस्कार है, सृष्टि के किसी अन्य अवयव की अवमानना नहीं की, अन्य धर्म का अपमान नहीं किया, वर्षा ऋतु मेंवरुणदेव के समक्ष अपना तेज़ न दिखाया, यही उसका संस्कार है, विनम्रता है।
जो सक्षम है तथा क्षमता पर गर्व करता है, बलवान है तथा पौरुष पर घमंड करता है, वह क्षुद्र एवं संस्कारहीन है। जो पहले नहीं था, अब हो गया वही गर्वित होता है। जो शाश्वत है उसे गर्व कैसा? सूर्य शाश्वत है एवं गर्वहीन है।
विवस्वान में शक्ति, तेज़, स्वाभिमान, धर्म, विनम्रता है। वह आस्था है, संस्कार है। मानव जीवन हेतु यही उसका संदेश है। रवि के यही गुण उसे देवत्व प्रदान करते हैं। जो सूर्य का सच्चा उपासक है वही नरदेव, महामानव, भगवान, अवतार हो जाता है। तो मनुष्य में इन गुणों को आत्मसात् करने के अतिरिक्त बचा क्या? हर व्यक्ति महामानव न सही, मानव तो हो सकता है। रवि जिन गुणों को पूर्णता से धारण करता है, मनुष्य उसका कुछ अंश धारण करे तो वह मानव बन जाएगा। इससे मानसिक हिंसा (ईर्ष्या, क्रोध, घृणा, द्वेष) का त्याग होगा। संपूर्ण सृष्टि में जितनी हानि मानसिक हिंसा ने की है उतनी अन्य किसी अवगुण या कायिक हिंसा ने नहीं। सूर्य हिंसक नहीं है, वह विनम्र है, दाता है, नवजीवन का संचरण कर सृष्टि की रचना करता है, सहिष्णु है, अन्य प्राकृतिक शक्तियों का सम्मान करता है तो वह हिंसक कैसे हो सकता है। अपने इन्हीं गुणों के कारण रवि संपूर्ण जगत में सम्मानित है, वेदों में स्तुत्य है, पुराणों में भगवान विष्णु के रूप में पूज्य है। सूर्य की आराधना, उपासना का अर्थ आदित्य के इन्हीं गुणों को स्वीकारना, अपनाना है। दिनकर की सब पर सम दृष्टि है, धनी निर्धन, ऊँच-नीच, हिन्दू, मुस्लिम, हिब्रू, ईसाई का भेद नहीं करता। सभी पर शाश्वत दया का स्रोत दिवाकर स्वाभिमान से खड़ा देखता है, कोई उसे डिगा नहीं सकता। सृष्टि उस पर केन्द्रित है। संपूर्ण जगत को धारण करनेवाली धरा का भी रक्षक है। ऐसे सूर्य को वेदों ने गाया, कवियों ने सजाया, यूनानियों ने “अपीलों” के रूप में आवाहन किया, ईसाइयों ने “रविवार” को “रेस्टडे” मनाकर मान दिया, वैज्ञानिकों ने मूल ऊर्जास्रोत व सृष्टि का केन्द्र बिंदु मानकर सम्मान किया। विश्व का कोई भी अंश सूर्य की सत्ता को नकार नहीं सका। सूर्य है तो जीवन है अर्थात् मनुष्य का जीवन सूर्य के इन्हीं गुणों पर आधारित है। सूर्य देवो भव:।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *